वर्ष 2003 का वह विश्वकप जब हम कप्तान सौरव गांगुली की अगुवाई में सभी टीमों को हराते हुए आस्ट्रेलियाई टीम से फाइनल में भिङे तो हम हार गये। उस दौर में आस्ट्रेलियाई टीम की पूरे विश्व में तूती बोलती थी। वह एक ऐसा दौर था जब आस्ट्रेलियाई टीम चरम पर थी और कोई भी मैच वह हारती नही


 वर्ष 2003 का वह विश्वकप जब हम कप्तान सौरव गांगुली की अगुवाई में सभी टीमों को हराते हुए आस्ट्रेलियाई टीम से फाइनल में भिङे तो हम हार गये। उस दौर में आस्ट्रेलियाई टीम की पूरे विश्व में तूती बोलती थी। वह एक ऐसा दौर था जब आस्ट्रेलियाई टीम चरम पर थी और कोई भी मैच वह हारती नही थी। उस दौर में आस्ट्रेलियाई टीम को हराना तो बहुत बङी बात

 होती थी विश्व की कोई भी टीम टक्कर तक नही दे पाती थी। उस दौर में भी भारतीय टीम ने आस्ट्रेलिया को कङी टक्कर दे रखी थी लेकिन 2003 के विश्वकप में हमारा विश्वकप जीतने का सपना आस्ट्रेलियाई टीम ने चकनाचूर कर दिया था। 


2003 के विश्वकप फाइनल में आस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान रिकी पोंटिंग और डेमियन मार्टिन की पारियां आज भी याद करके हमारी रूह कांप जाती है। उस फाइनल मैच में वीरेंद्र सहवाग अकेले तन्हा मोर्चा संभाले थे और आज भी वीरू की वह पारी याद करके हम गर्व महसूस करते हैं। 

हम आज से 20 साल पहले भी बिल्कुल इसी (2023 वाले) तरह के माहौल में थे और विश्वकप हमसे मात्र दो कदम दूर था लेकिन उस दौर की आस्ट्रेलियाई टीम को हराना लगभग नामुमकिन ही था फिर भी दादा की कप्तानी में हमारी टीम ने भरसक प्रयास किया था। आज भी 2011,2007 का वनडे और टी20 का विश्वकप छोङ दिया जाय तो हम विश्वकप में पूरे टूर्नामेंट बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं लेकिन सेमीफाइनल या फाइनल मे आकर हार जाते हैं।


रोहित शर्मा की कप्तानी में हमे ऐसा लगता है कि हम उस दौर से बाहर आ चुके हैं जब हम सेमीफाइनल और फाइनल मैच हार जाया करते थे। यह वह दौर है जहां आस्ट्रेलिया,न्यूजीलैंड,दक्षिण अफ्रीका,इंग्लैंड जैसी टीमें भारत की बैटिंग,बालिंग सभी से डर रही हैं। अब न आस्ट्रेलिया अजेय रहा है और न भारतीय गेंदबाजी कमजोर रही है ऐसे में इस विश्वकप को भारत आसानी से जीत लेगा ऐसा सभी क्रिकेट जानने समझने वाले कह रहे हैं।


भारतीय टीम के इस पूरे टूर्नामेंट प्रदर्शन पर नजर डालें तो एक भी मैच ऐसा नही मिलेगा जिसमे टीम किसी एक खिलाङी पर निर्भर दिखी हो। यह भारतीय टीम एक चैंपियन टीम और मशीन की तरह कार्य करती हुई दिख रही है। भारतीय टीम उस मशीन की तरह काम कर रही है जो कप्तान के इनपुट मिलते ही विकेट निकाल देती है या फिर रनों का पहाङ खङा कर देती है। 


इस भारतीय टीम में मोहम्मद सिराज और मोहम्मद शमी जैसे खूंखार तो जसप्रीत बुमराह और कुलदीप यादव जैसे चैम्पियन बालर मौजूद हैं। रोहित शर्मा और गिल जैसे खूंखार ओपनर तो सूर्यकुमार जैसा फिनिशर भी मौजूद है। मिडिल आर्डर में श्रेयस अय्यर जैसा बल्लेबाज तो विराट जैसा चैंपियन बल्लेबाज भी मौजूद है। इस टीम में केएल राहुल जैसा भरोसेमंद और क्लास प्लेयर मौजूद है।


यह सब देखकर हम यकीन से कह सकते हैं कि यह विश्वकप हमारा है। क्या आपको भी ऐसा ही लगता है? 

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